Auditing का main Objective Financial Statement और Books of Accounts को verify करना और उसके बारे में अपने opinion को express करना अपनी reports के through, जिससे कि Company की Balance Sheet True and Fair view show कर सके, साथ ही यह भी check करना कि जो company के Employees या Accountant ने जो Accounts prepare किये हैं वो जिस basis पर बनाये गये हैं वो basis सही हैं या नहीं। इस तरह एक Auditor इन सारी चीज़ों को check करता है या verify करता है। Auditing के Objectives को अच्छे से समझने के लिए इसे हम 2 Part में divide करते हैं –
Primary Objective (मुख्य उद्देश्य) –
Examination of Accounts Books (लेखा पुस्तकों की जाँच) –
Auditing का main objective एक company के Accounts Book की जाँच करना है। जाँच करने से मतलब Vouchers से मिलान करना है जिसके basis पर Accounting की गयी है। जिस तरह Accounting करने के लिए उसके Vouchers का होना ज़रूरी है उसी तरह एक Vouchers के लिए भी उसकी Accounting करना या उसका record रखना ज़रूरी होता है। इस तरह Accounts Book को check करना Auditing का main Objective होता है।
Verification of Financial Statements (वित्तीय विवरणों का सत्यापन करना) –
Books of Accounts की accuracy को verify करने के बाद एक Auditor company के Financial Statements के ऊपर अपना expert opinion देता है कि Profit and Loss Account के द्वारा जो Profit या Loss show कर रहा है वो सही है या नहीं साथ ही उसकी Balance Sheet जो एक particular period में True and Fair view represent कर रही है वह सही है या नहीं।
Subsidiary Objective (सहायक उद्देश्य) –
Detection and Prevention of Errors (गलतियों का पता लगाना और रोकना) –
Accounts Book को जानने के लिए की ये सही हैं या नहीं उसमें गलतियों को ढूंढना बहोत ज़रूरी है। Business में errors जानबूझ कर नहीं की जाती हैं, यह किसी से भी अनजाने में हो सकती हैं। एक Auditor जो Auditing करता है वह इन सारी errors का पता लगाता है उसे company के owner को बताता है, और उन्हें suggestions भी देता है कि future में ये error repeat न हों, अब इस suggestions को apply करना न करना ये owner के ऊपर depend करता है।
Detection and Prevention of Frauds (छल–कपट का पता लगाना और रोकना) –
ऐसी गलतियाँ जो company के employees के through जान-बूझ कर एक planning से किसी को धोखा देने या नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से Accounts Book में की जाती हैं ये Fraud(छल-कपट) कहलाते हैं। इन Frauds की वजह से company के Financial Statement सही Position को show नहीं कर पाते हैं। इसलिए Auditing की जाती है ताकि होने वाले Frauds का पता लगाया जा सके, इसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल ज़रूर होता है क्योंकि ये एक planning के साथ किये जाते हैं।
Advice to the Managers (प्रबंधकों को सलाह) –
Auditing के Subsidiary objective में एक objective यह भी होता है कि वह प्रबंधकों को अपनी सलाह दे। Accounts Book की checking के दौरान एक Auditor के सामने कई तरह की कमियाँ, गलतियाँ और Fraud का पता चलता है। एक Auditor की यह duty है कि वह इन सारी चीज़ों के बारे में owner को अपनी सलाह दे।
इस तरह Auditing इसीलिए की जाती है ताकि ऊपर दी हुई इन सारी बातों के बारे में पता लगाया जा सके।
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको Auditing के Objectives के बारे अच्छे से समझ मे आ गया होगा।
Thank You !