What is accounting in Hindi – एकाउंटिंग क्या है? :–
आज का युग व्यापार का युग है और Accounting सीखना बहुत ज़रूरी हो गया है क्योंकि व्यापार तेज़ी से दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है साथ ही मुश्किल (Complex) भी होता जा रहा है। किसी भी Business या Organization के लिये यह possible नही है कि वह अपने सारे Accounting transactions को लम्बे समय तक के लिए याद रख सके कि उसमें कितनी Purchase हो रही है? कितनी Sale हो रही है? और उस Business में Profit हो भी रहा है या नही। इन सारी चीज़ों के बारे में भी जानना एक Business के लिए बहोत ज़रूरी होता है,इसलिए Business के सारे लेन-देनों का लिखित प्रमाण(Written Record) रखा जाता है या लिखित रूप में जानकारी रखी जाती है जो भी क्रियाएँ की जा रही हैं या जो भी Activities Perform की जा रही हैं।
इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि Business में जो भी लेन-देन किये जाते हैं या यूं कहें कि जितने भी Transitions किये जाते हैं उन सभी को दिन-प्रतिदिन (day by day) दिनांक के साथ (date wise) एक Systematic तरीके से record किया जाता है जिससे यह पता लगाया जा सके कि Business में लाभ(Profit) हो रहा है या हानि(Loss) और उसकी एक report तैयार की जा सके ।
Definition of Accounting – एकाउंटिंग की परिभाषा :–
“Accounting is an art of recording, classifying and summarizing business transactions with a view to ascertain the net profit and financial position of the business.”
(लेखांकन सारे लेन-देनों को लिखने, वर्गीकृत करने और संक्षेप में प्रस्तुत करने की कला है जिसमें किसी व्यवसाय के शुद्ध लाभ(Net Profit) और वित्तीय स्थिति(Financial Position) के बारे में पता लगाया जा सके ।)
इसकी दूसरी परिभाषा यह है —
“ Accounting is a systematic process of identifying, recording, classifying, summarizing and communicating financial information of a business to the users or authorities for decision making “
(लेखांकन एक व्यवस्थित क्रिया है जिसमे व्यवसाय के वित्तीय सूचनाओं की पहचान करना, लेखा करना, वर्गीकृत करना, संक्षेप में प्रस्तुत करना या उनका सारांश तैयार करना और उनका सम्प्रेषण उन व्यक्तियों से करना जो अधिकारी हैं या जो उनके आधार पर निर्णय लेते हैं)
Identifying –
Identifying से मतलब यह है कि Business के सही Transactions की पहचान करना यानी कि कौन से Transactions Business से related हैं और कौन से नहीं?यानी बस उन्हीं लेन-देनों की पहचान करना जिनका सम्बन्ध पैसे(Money) से होता है।
Recording –
Recording से मतलब यह है कि Business की जितनी भी process की जाती हैं ,जो भी लेन-देन किये जाते हैं चाहे Purchase किये जा रहें हैं या Sale कर रहें हैं या फिर Expenses pay कर रहे हैं तो इन सभी को date wise record किया जाता है । Recording की यह process बहोत ही Systematic होती है। किसी छोटे business में जहां लेन-देन काम होते हैं वहाँ सारे लेन-देन पहले एक ही book में record किये जाते हैं, जिसे “जर्नल”(Journal) कहते हैं, पर बड़े-बड़े business में जहां लेन-देन बहोत ज़्यादा होते हैं वहाँ इन्हें record करने के लिए अलग-अलग Accounts Book बना दी जाती है जिसे हम सहायक बहियां(Subsidiary Books) कहते हैं। जैसे :- Purchase करने के लिए ‘Purchase Book’ Sale करने के लिए ‘Sales Book’ Cash के लेन-देन के लिए ‘Cash Book’ etc. इस तरह से Recording की process आसान हो जाती है।
Classifying –
अब ये जो भी Transactions को Record किया गया है इन सभी को अपनी अपनी जगह यानी Respective Head में Classify कर दिया जाता है,यानी अलग अलग items से related जो भी transactions होते हैं,उनका अलग अलग Heads बनाकर उनको रिकॉर्ड करते हैं । एक ही Nature के जो Transactions होते हैं उनको एक ही जगह Group में एक अलग Account बनाकर रिकॉर्ड करते हैं, और ये जो अलग-अलग Account open किये जाते हैं इसे “Ledger” कहते हैं। कोई भी person, customer या supplier हो उनका भी separate account open किया जाता है जिस तरह Purchase, Sales या फिर Expenses का open किया जाता है। जैसे :- Purchase Account, Cash Account, Salary Account etc. अगर किसी employee को cash में Salary Pay कर रहे हैं तो Salary Account और Cash Account का अलग-अलग Ledger बनायेंगे ऐसा करने से हमें हर एक individual Account की complete information मिलती है।
Summarizing –
Summarizing एक art है classified data को understandable और useful manner में management और users को present करने की। मतलब अब ये सारे जो transactions record किये हुए होते हैं इनको वित्तीय वर्ष(Financial Year) में इन सारे Transactions की एक Summarize Form तैयार की जाती है यानी short में एक सारांश के रूप में सारी बातों को explain किया जाता है ताकि इसे आसानी से समझा जा सके। इसमें सारे Ledger Accounts का balance निकाला जाता है और इन balances की help से ‘Trial Balance’ prepare किया जाता है,और फिर इस Trial Balance की help से ‘Final Account’ prepare किया जाता है जिसमे ‘Trading and Profit & Loss Account’ और ‘Balance Sheet’ बनायी जाती है ।
Communicating –
अब ये जो Financial Transactions को रिकॉर्ड किया गया है,इसको Classify और Summerize किया गया है,इसको Authorities या फिर Main Users तक पहुँचाया जाता है जिसको इसकी ज़रूरत होती है यानी उनसे Communicate किया जाता है ताकि वे उन Information को Analyse करके important decisions लें सके।
अब तो आप आसानी से Accounting के बारे मे जान गए होंगे, आगे की Post में ये समझेंगे की आखिर एक Business या किसी भी Organization के लिए Accounting क्यो ज़रूरी है,इसकी क्या Importance है (Need and importance of accounting in Hindi)कोई भी व्यक्ति Business में पैसा लगाता है तो उसका क्या Purpose होता है? कुछ Examples के Through इसे हम अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे ।
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