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Elements of Cost (लागत के तत्व) –

Meaning of Element of Cost –

किसी भी product या service की cost में तीन main element होते हैं या फिर हम ये कह सकते हैं कि किसी product की cost में तीन तरह की चीज़ें जुड़ी हुई होती हैं जिनसे एक product ready होता है। किसी भी product को बनाने के लिए उसमें Material लगता है, उसे बनाने वाले Labour होते हैं जिन्हें wages दी जाती है और इसके अलावा बहोत सारे Expenses होते हैं, यही तीन Cost के main Element (Element of Cost) कहलाते हैं।

इसमें जो Material होता है इसे Direct Material और Indirect Material में बाँट दिया जाता है ताकि यह पता चल सके कि कौन-से Material उस product को बनाने के लिए Directly use हो रहे हैं और कौन-कौन से Indirectly use किये जा रहे हैं।

इसी तरह Labour को भी Direct Labour और Indirect Labour में बाँट देते हैं ताकि Labour की Cost का भी अलग-अलग पता लगाया जा सके।

फिर जितने भी सारे Expenses होते हैं उन्हें भी Material और Labour की ही तरह Direct Expenses और Indirect Expenses में बाँट दिया जाता है ताकि खर्चों से जुड़ी सारी चीज़ों के बारे में अलग-अलग जानकारी प्राप्त की जा सके। Element of Cost को हम दिए गए Chart के through अच्छे से समझ सकते हैं –


1. Material Cost –

Element of Cost में Material बहोत ही important है क्योंकि बिना material के किसी भी product को नहीं बनाया जा सकता। किसी भी product की Total Cost का एक बड़ा हिस्सा Material Cost ही होता है।

Definition of Material Cost-

(Material Cost is the cost of material of any nature used for the purpose of production of a product or a service) -CAS-1

ये Material Cost दो तरह की होती है। Direct Material और Indirect Material नीचे इसे हम और अच्छे से समझ सकते हैं।

Direct Material Direct Material वो cost होती है जो किसी product को बनाने में directly use की जाती है और वह उसी का part होती है और बिना इसके कोई product नही बनाया जा सकता है। इसे हम Direct Material कहते हैं। जैसे- furniture बनाने के लिए लकड़ी, चीनी बनाने के लिए गन्ना, भवन-निर्माण के लिए ईंट, सीमेन्ट आदि

Indirect Material – Indirect Material में वो cost आती है जो किसी product को बनाने में directly involve नही होती है पर उसे बनाने में ज़रूर help करती है, वो Indirect Material कहलाते हैं। जैसे- किसी लकड़ी के लिये कीलें या फेविकोल, मशीनों को चलाये रखने के लिए आवश्यक तेल,ग्रीस या कम price की और भी छोटी-छोटी चीज़ें जो किसी product का main part तो नहीं होते हैं पर उसके बनने में ज़रूर काम आते हैं।


2. Labour Cost –

Cost का दूसरा Element है Labour जिसे Wages भी कहते हैं। किसी product को बनाने में जो Labour लगे हुए होते हैं और उन्हें जो Wages दी जाती है उसकी Cost बनने वाले product में शामिल की जाती है। जिसे Labour Cost कहते हैं।

Definition of Labour Cost-

(Labour Cost means the payment made to the employees, permanent or temporary for their services.) -CAS-1

Material Cost की तरह Labour Cost को भी Direct Labour और Indirect Labour में बाँट दिया जाता है, जो निम्नलिखित हैं –

Direct Labour Direct Labour में उन employees की Labour की Cost आती है जो directly किसी production कार्य से जुड़े रहते हैं, जो किसी product को बनाने में important role play करते हैं, तो उनको जो Wages दी जाती है वह Labour Cost कहलाती है। जैसे – किसी Car को बनाने में वह सारे employees जो किसी न किसी रूप में उस Car के production में involve होते हैं- कोई Car के parts को जोड़ने का काम करता है, तो कोई उन्हें polish करने का काम करता है इन सबको जो Wages दी जाती है वह Direct Labour Cost कहलाती है।

Indirect Labour Indirect Labour में वे व्यक्ति आते हैं जो किसी भी production कार्य को खुद अपने हाथों से तो नहीं करते हैं पर उसके चलने में ज़रूर help करते हैं। जैसे – Watchman, Sweeper, Inspector और


3. Expenses –

अगर हम बात करें Expenses की तो Material Cost और Labour Cost के अलावा बाकी के सारे खर्चे इस Expenses में आते हैं।

Definition of Expenses –

(Expenses are other than material cost or labour cost which are involved in an activity.) -CAS-1

Expenses को भी दो part में बाँट देते हैं जो निम्नलिखित हैं –

Direct ExpensesCost Accounting में Direct Expenses वो होते हैं जो temporary use के लिए high charges pay किये जाते हैं यानी किसी एक particular contract के लिए जो expenses करने पड़ते हैं। जैसे – किसी विशेष कार्य के लिए किसी मशीन को किराए पर लाना, कोई Pattern, Designs या Model तैयार करना, Carriage, Royalty ये सब के सब Direct Expenses में आते हैं।

Indirect Expenses Direct Expenses के अलावा जो छोटे-छोटे Expenses किये जाते हैं वो Indirect Expenses में आते हैं। ये किसी एक particular contract से related न होकर सभी कामों से related होते हैं।

Overheads –

Indirect Material, Indirect Labour और Indirect Expenses के जोड़ को हम Overheads कहते हैं। Overheads यानी ऊपरी खर्चे। इसमें हम अलग-अलग खर्चों के head बना देते हैं ताकि हमें ये पता चल सके कि किस-किस head से कौन-कौन-से खर्चे हो रहे हैं।

Classification of Overheads – Overheads को तीन part में बाँट दिया जाता है इस तरह इसे और अच्छे से समझा जा सकता है :-

Factory and Production Overheads इसमें Factory या Production से related जितने भी खर्चे होते हैं वो इसमे आते हैं। जैसे – कारखाने का किराया, बिजली के खर्चे, मरम्मत के खर्चे, मशीनों के तेल और उसकी साफ-सफाई के खर्चे आदि।

Office and Administration Overheads इसमें Office से related सारे खर्चे आते हैं। जैसे – भवन का किराया, टेलीफोन बिल, स्टेशनरी के खर्चे, office की मरम्मत के खर्चे आदि।

Selling and Distribution Overheads इसमें एक product की selling के सारे खर्चे आते हैं। जैसे – विज्ञापन के खर्चे, विक्रय सम्बन्धी खर्चे, samples के खर्चे, पैकिंग के खर्चे, उसे ग्राहकों तक पहुँचाने के खर्चे आदि।

इस तरह हम किसी Product के हर-एक level के क्या-क्या खर्चे हो रहे हैं उसे easily find out कर सकते हैं कि Material पर कितने खर्चे हुए हैं, Labour की क्या Cost आ रही है, Factory के क्या-क्या Expenses हैं? कहाँ और किस department में ज़्यादा खर्चे हो रहे हैं, इन सारी चीज़ों के बारे में पता लगाया जा सकता है।

आज की इस पोस्ट में मैंने आपको ये बताया कि – Element of Cost क्या होती है? ये कितने types की होती हैं? तो उम्मीद करता हूँ आपको समझ में आया होगा, अगर ये आपको पसन्द आया तो इसे social media पर अपने दोस्तों के साथ ज़रूर share करें, जिससे उनको भी इसकी जानकारी मिल सके।

Thank You !

Cost Accounting किसे कहते है ?

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