Hello दोस्तों ! Accounting Seekho में आपका स्वागत है। आज के इस article में हम जानेंगे Expenditure के बारे में। ये Expenditure कुछ Capital nature के होते हैं और कुछ Revenue nature के होते हैं, इन दोनों में क्या फर्क है इसको समझना बहोत ज़रूरी है। हम कैसे किसी Expenditure को पहचानेंगे की यह Capital Expenditure है या Revenue Expenditure है तो आज के इस article में इन्हीं सारी चीज़ों के बारे में समझेंगे।
Introduction (परिचय) –
कोई भी business चाहे छोटा हो या बड़ा उसे शुरू में बहोत सारे पैसे लगाने पड़ते हैं। यही business की Capital मानी जाती है। इसकी सारी amount उस goods को purchase करने में लगायी जाती है जिसमें कि वह business किया जा रहा है और इसके अलावा बची हुई amount से business की assets को purchase किया जाता है। जैसे – Machinery, Building, Furniture आदि। पूँजी (Capital) के सम्बन्ध में जो expenses किए जाते हैं वो Capital Expenditure कहलाते हैं और business की आय (Income) प्राप्त करने के लिए जो expenses किये जाते हैं वो Revenue Expenditure कहलाते हैं। अब आगे हम इन दोनों को और अच्छे से समझते हैं।
Capital Expenditure (पूँजीगत व्यय) –
Capital Expenditure का आशय ऐसे expenses से है जो किसी भी company या factory के लिए स्थायी सम्पत्तियों (fixed assets) को खरीदने के लिए किए जाते हैं fixed assets में जैसे- Machinery, Furniture, Vehicle आदि। इसके अलावा इन assets की production capacity या उनकी life को बढ़ाने के लिए मशीनों को upgrade कर दिया जाता है ताकि output और अच्छा मिले, यही Capital Expenditure कहलाते हैं।
जैसे किसी factory की कोई machine है जो बहोत पुरानी हो गयी है इसकी वजह से production slow होने लगा है या कम हो रहा है। अब इसकी जगह नई machine खरीदकर लगा देते हैं तो उसकी production capacity बढ़ जाती है जिससे और ज़्यादा profit कमाया जा सकता है तो ये जो हमारा expense होता है इसे ही हम Capital Expenditure कहते हैं।
इसे हम इस तरह भी समझ सकते हैं कि जब हम किसी assets के लिए कोई बड़ा expense करते हैं और उसका फायदा हमें आने वाले कई सालों तक मिलता है तो ये expense Capital Expenditure में आते हैं। इस तरह के expense कभी-कभी ही किये जाते हैं न कि बार-बार या लगातार किये जाते हैं। ज़रूरी नहीं है कि Capital Expenditure सिर्फ assets को ही purchase करने के लिए किए जायें। नए व्यवसाय को लोगों में लोकप्रिय बनाने के लिए उसके विज्ञापन या प्रचार पर किये गए व्यय या इसके अलावा लम्बे समय के लिए ज़्यादा profit कमाने के लिए एक ही बार मे ज़्यादा amount विज्ञापन (Advertisement) पर खर्च कर देना। ये सब भी Capital Expenditure में ही आते हैं। ऐसे सारे expenses को हम Balance Sheet की Assets side show करते हैं।
Revenue Expenditure (आयगत व्यय) –
ये ऐसे खर्चे होते हैं जो किसी business में बार-बार या लगातार किये जाते हैं या करने पड़ते हैं। Business की जो स्थायी सम्पत्ति (fixed assets) होती है उसकी operational capacity को बनाये रखने के लिए किए जाते हैं यानी उसका उद्देश्य स्थायी सम्पत्तियों की कार्यक्षमता को बनाये रखना है, बढ़ाना नहीं। यह assets को maintain करने के लिए किए जाते हैं। जैसे factory की कोई machine है जिससे production किया जाता है और मशीनों को बराबर साफ-सफाई और maintain रखने की ज़रूरत पड़ती है ताकि वे खराब न हों, तो इसके जो repairing और maintenance के खर्चे होते हैं वो Revenue Expenditure में आते हैं। Revenue Expenditure को अलग इसीलिये रखा जाता है ताकि business में जो इतने सारे expenses हो रहे हैं उनको हर साल के expenses से compare किया जा सके और हम उस expenses को कम भी कर सकें।
Revenue Expenditure को हम Routine Expenses या Daily Expenses भी कहते हैं। यह छोटे-छोटे खर्चे होते हैं जो business के साथ-साथ चलते रहते हैं साथ ही यह business को चलाने के लिए भी ज़रूरी होते हैं। जिस साल भी business के ये खर्चे किये जाते हैं उसी साल के Profit And Loss A/c में show किये जाते हैं ताकि सही-सही Profit या Loss का पता चल सके। इससे एक particular period में पता भी चल जाता है कि business में कितने expenses हो रहे हैं। Revenue Expenditure में जैसे – Salary Expenses, Repairing Expenses, Selling Expenses आदि और भी बहोत से expenses आते हैं। इन सारे expenses को हम Profit And Loss A/c के Debit Side में show करते हैं।
दोस्तों आज के इस article में इतना ही उम्मीद करता हूँ आपको Capital Expenditure In Hindi और Revenue Expenditure In Hindi के बारे में अच्छी जानकारी मिली होगी, इस article के through आप ये जा गए होंगे कि Capital Expenditure Kya Hai और Revenue Expenditure Kya Hota Hai
तो इस article की जानकारी अपने दोस्तों को भी ज़रूर दें, साथ ही Social Media पर भी ज़रूर Share करें।
अगर आप हमारी Website Accounting Seekho की Latest Update पाना चाहते हैं तो हमारे Facebook Page को Like करें ताकि New Article की Notification आपको मिलती रहें। हमारे इस article को अपना कीमती समय देकर पढ़ने के लिए धन्यवाद, आपका दिन शुभ हो।
What Is Depreciation In Hindi? – ह्रास किसे कहते हैं?
Double Entry System in Hindi – दोहरा लेखा प्रणाली