Hello दोस्तों ! Accounting Seekho में आपका स्वागत है। कई बार ऐसा होता है कि हम कोई Assets (सम्पत्ति) purchase करना चाहते हैं जैसे – मशीन, कार, फर्नीचर आदि। पर इतना पैसा नहीं होता कि तुरन्त उस assets का payment करके उसे Purchase कर सकें। तो question यह है कि हम उस assets को कैसे purchase करें? इसका solution है “Hire Purchase System” तो आज के इस article में हम जानेंगे Hire Purchase System Kya Hai, Hire Purchase In Hindi, Meaning and Definition of Hire Purchase System, इसमें हम Assets को कैसे purchase करते हैं इसके बारे में जानते हैं –
Meaning of Hire Purchase System In Hindi (किराया–क्रय पद्धति का अर्थ) –
Hire Purchase System में Hire का मतलब कोई चीज़ किराए पर देना या लेना और Purchase यानी खरीदना, इसका मतलब यह है कि जब भी हम कोई assets किराए की तरह use करते हैं, उसकी हर महीने, तीन महीने या फिर छह महीने में payment करते हैं और payment पूरा हो जाने पर वह assets हमारी हो जाती है। जैसे अगर कोई person कोई assets खरीदना चाहता है जिसकी उसे बहोत ज़रूरत है पर उसके पास उतने पैसे नहीं हैं कि वह उसको खरीद सके। इसके लिए वह कुछ पैसों का payment करता है जिसे हम down payment कहते हैं और फिर वह assets उसको use करने के लिए दे दी जाती है और वह उसका बाकी का payment Installment (किश्तों) में करता है। इससे उसका काम भी चलता है और वह पैसे भी धीरे-धीरे देता रहता है, तो यह जो method होता है इसे ही हम “Hire Purchase System” कहते हैं।
Definition Of Hire Purchase System (किराया–क्रय पद्धति की परिभाषा) –
जे. आर. बाटलीबॉय के अनुसार –
“किराया–क्रय पद्धति में माल एक ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जो माल की कीमत इसकी स्वामी को बराबर सामयिक किश्तों द्वारा भुगतान करने का समझौता करता है। ये किश्तें उस समय तक माल के किराए की तरह समझी जाती हैं जब तक कि माल की पूरी राशि का भुगतान न कर दिया जाए और तभी वह माल क्रेता की सम्पत्ति हो जाता है।”
What Is Hire Purchase System In Hindi (किराया–क्रय पद्धति क्या है?) –
Hire Purchase System एक ऐसा system होता है जिसमे एक आदमी जो किसी assets को purchase कर रहा है और दूसरा person जो उस assets को sell कर रहा है तो इन दोनों person के बीच एक Contract या Agreement होता है कि जो उस assets को purchase करने वाला person है वह उस assets की price को किश्तों यानी instalments में pay करने या लौटाने का वादा या promise करता है। अब ये जो किश्तें होती हैं यह 1 महीने, 3 महीने, 6 महीने या फिर 1 साल की भी हो सकती हैं, पर इन सब किश्तों के लिए एक confirm time period दे दी जाती है जिसके अन्दर सारी किश्तों के payment करना होता है।
इसमे होता यह है कि उस assets को use करने का अधिकार उस purchase करने वाले व्यक्ति को दे दिया जाता है लेकिन उस assets की ownership seller के पास ही रहती है इसका मतलब यह है कि वह व्यक्ति उस assets को use तो कर सकता है पर उसका मालिक नही हो सकता जब तक कि वह उसका last installment का payment न कर दे। जब वह last payment कर देता है तो फिर उस assets की ownership उसके नाम पर transfer कर दी जाती है। इससे पहले के सारे payment जो वह करता है वह एक तरीके से किराए की तरह माने जाते हैं जिसे हम Hire Charges कहते हैं।
दोस्तों आज के इस article में इतना ही उम्मीद करता हूँ आपको Hire Purchase System In Hindi के बारे में अच्छी जानकारी मिली होगी, आज का यह article Hire Purchase System Kya Hota Hai इसके बारे में था और इसमें आपको बहोत कुछ जानने को मिला होगा।
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