Meaning of Auditing – (अंकेक्षण का अर्थ)-
English Language का Audit Latin Language के शब्द ‘Audire’ से बना है जिसका मतलब होता है- सुनना (To hear)। तो ये सुनने से क्या मतलब है? पहले होता ये था कि business छोटा हुआ करता था जिसकी वजह से उसके जो भी transaction होते थे वो भी कम ही होते थे, तब यह possible था कि Auditing का काम उन Accountants के द्वारा जो accounts को maintain करते थे सुनकर ही किया जाता था, वह Accountant उन सारे transactions को एक-एक करके पढ़ता और वह Auditing करने वाला व्यक्ति उसे सुनकर ही अपना opinion देता था कि उसने जो accounts बनाये हैं वो सही हैं या नहीं।
आज business काफी broad हो गया है सारा काम Computers की help से किया जा रहा है, सारे transactions को Computer में ही record किया जा रहा है। साथ-ही-साथ अब business के transaction भी ज़्यादा होने लगे हैं। Cash के transactions के साथ-साथ Credit यानी उधार के लेन-देन और ज़्यादा होने लगे है। अब business के ये जो लेन-देन हो रहे हैं वो सही हैं या नहीं यह जानना भी ज़रूरी हो गया है और साथ ही यह भी clear करना ज़रूरी है कि ये जो लेन-देन किये गए हैं वो Accounting के जो Rules and Regulations हैं उसके according किये गए हैं या नहीं। इन सभी चीज़ों के बारे में भी जानना ज़रूरी हो गया है, इसके लिए Accounts Book की जाँच की जाती है। सारे लेन-देनों की जाँच –
– Vouchers और Information के basis पर की जाती है।
– Profit and Loss Account को check किया जाता है।
– Balance Sheet check की जाती है।
– Bills और Invoices की भी ज़रूरत पड़ने पर checking की जाती है।
इसे ही हम ‘Auditing’ कहते हैं।
Definition of Auditing – (अंकेक्षण की परिभाषा)
“Auditing is a systematic and independent examination of books, vouchers and other financial and legal records in order to verify and report upon the facts regarding the financial condition disclosed by the Balance Sheet and Net Income revealed by the Profit and Loss Account.
(अंकेक्षण का मतलब एक व्यवस्थित और स्वतन्त्र जाँच करने से है किसी Accounts Book की, उसके Vouchers की, और इसके अलावा जो आर्थिक और कानूनी लेखे तैयार किये जाते हैं उनकी और यह पता लगाया जा सके कि वे सही हैं या नहीं ताकि Balance Sheet जो Financial Condition show कर रही है और Profit and Loss Account से जो Net Income का पता चल रहा है वो सही दिखा रहा है या नहीं इसके बारे में Report दी जा सके।)
According to R. G. Williams –
“Auditing may be defined as the examination of the books, accounts and vouchers of a business with a view to ascertaining whether or not the Balance sheet properly drawn up so as to show a true and correct view of the state of affairs of the business.”
(अंकेक्षण का आशय business की Books, Accounts और उसके जो Vouchers हैं उनकी जाँच से है और यह पता लगाने के लिए की जो Balance Sheet बनाई गई है वह सही तरीके से बनायी गयी है या नहीं और साथ-ही-साथ वह business के true and fair view को show कर रही है या नहीं।)
इस तरह हम ये कह सकते हैं कि Audit का मतलब होता है Books of Accounts और Financial Statements की checking करना कि ये सही से prepare किये गए हैं या नहीं। इसमें हम दिए हुए chart के through अच्छे से समझ सकते हैं।
अगर हम बात करें Books of Accounts की तो सबसे पहले Journal और Subsidiary Books आती हैं- जिसमें हम journal entry करते हैं सारे transactions को एक साथ लिखते जाते हैं या फिर Subsidiary Books यानी सबकी अलग-अलग Book बनाते हैं। जैसे- Cash के transaction को record करने के लिए Cash Book, Purchase के transaction को record करने के लिए Purchase Book, Sales के transactions को Sales Book में इसी तरह record किया जाता है। फिर Journal के basis पर Ledger prepare करते हैं, इसके बाद Trial Balance बनाते हैं और Trial Balance की help से Financial Statement prepare करते हैं। इसमें Trading Account, Profit and Loss Account और Balance Sheet बनाते हैं।
Trading Account से हमें Gross Profit या Gross Loss का पता चलता है। Profit and Loss Account से Net Profit या Net Loss की जानकारी मिलती है और इसके बाद Balance Sheet जो Company की True and Fair View को show करती है। इन्हीं सारे record को Audit करना या check करना कि ये सही prepare किये गये हैं या नहीं। इसे ही हम Auditing कहते हैं। इसे हम Financial Audit या Company Audit भी कहते हैं।
According to Law – एक Company को Audit कराना must है, इसलिए company को हर साल Audit करानी पड़ती है, तो यहाँ एक Question यह आता है कि यह Audit करता कौन है? तो इसके लिए बाहर से एक Independent person को appoint किया जाता है जिसका इस business से कोई लेना-देना नहीं होता है और वह Accounts का expert होता है जोकि एक C.A. (Chartered Accountant) ही कर सकता है, जो Professional होता है और उसका Degree और Certificate होता है। इसे बाहर से hire किया जाता है इसलिए इसे External Audit भी कहते हैं।
Need of Auditing (अंकेक्षण की आवश्यकता) –
Auditing की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है –
- Accounting as per Rules and Regulations (लेखों की नियमाकूलता) –
जिस भी company में Accounts Book की Auditing की जाती है वहाँ सारे Accounts को Rules के according रखा जाता है जो उस company के ही हित में होता है।
- Computation of true Profit or Loss (सही लाभ–हानि की गणना)–
Auditing होने से ही company के employees भी अपने काम के प्रति सजग रहते हैं, जिससे सही Profit or Loss की calculation हो पाती है, फिर भी अगर कोई गलती हो जाती है तो Auditing कराने से उसका पता चल जाता है।
- To know the real position of the business (व्यवसाय की वास्तविक स्थिति की जानकारी हेतु)–
Auditing कराने से यह verify हो जाता है कि Balance Sheet में जो Assets और Liabilities दिखाए गए हैं वो सही value पर दिखाए गए हैं या नहीं। इस तरह कोई भी व्यक्ति इसे देखकर company की Financial Position की जानकारी प्राप्त कर सकता है।
- For increasing Goodwill of the business (व्यापार की ख्याति में वृद्धि)–
जब किसी business के सारे Accounts Audit किये हुए होते हैं, तो उसमें लोगों का trust बढ़ता है, और इस तरह उस business की Goodwill बढ़ती जाती है और वे ज़्यादा Profit कमाते हैं।
- In determination of Tax (कर निर्धारण में सहायक)–
जब एक business की सारी Accounts Book Audit की हुई होती हैं और जब income tax return file करना होता है तो उसी Profit या Loss के according ही income tax return देते हैं।
इन्ही सारी चीज़ों के लिए हमें Auditing की आवश्यकता पड़ती है।
तो आज की इस पोस्ट में हमने Auditing की Meaning, Definition और इसकी Need के बारे में जाना। उम्मीद करता हूँ आपको समझ में आया होगा।
Thank You !
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