Stages of Marketing Concept in hindi – विपणन की अवधारणा

Hello दोस्तों ! Accounting Seekho में आपका स्वागत है। आज का हमारा article “Principles Of Marketing” के बारे में है और इस article में हम जानेंगे Evolution And Stages Of Marketing Concept के बारे में, इसे हम Marketing Concept Philosophy” के नाम से भी जानते हैं। इसमें हम इसके अलग अलग concept के बारे में समझेंगे। इसके अलावा और भी बहोत से article हमारी website पर available हैं, आप उन article को भी पढ़ सकते हैं।

marketing by accountingseekho.com
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Stages Of Marketing Concept Or Marketing Philosophies –

इस article में हम यही जानेंगे कि Marketing का evolution कैसे हुआ। पहले Marketing का कौन सा concept था? पहले Marketing किस तरह की जाती थी? आज की तारीख में Marketing का कौन सा concept है? क्योंकि पिछले कुछ सालों से business activities में काफी बदलाव हुआ है, आज की तारीख में इस concept का अलग ही रूप देखने को मिलता है। इस तरह Marketing Concept के इन अलग-अलग stages के बारे में एक-एक करके समझते हैं –

1– Production Concept –

Marketing में सबसे पहले यह Production Concept था जहां ज्यादा से ज्यादा production किया जाता था अर्थात चीजें बनाई जाती थी, और यह मान का production किया जाता था कि जितना ज्यादा production होगा उतनी ही ज्यादा बिक्री (sale) होगी इसमें product की quality पर उतना ध्यान नहीं किया जाता था बस business का जो मुख्य उद्देश्य होता था वह ज़्यादा production करना होता था कि ज्यादा से ज्यादा product बनाया जाए और उसे sale किया जाए। अब ज्यादा production करने का एक फायदा (advantage) यह था कि उस product की cost कम पड़ती थी, क्योंकि मात्रा (quantity) ज्यादा होती थी। इस तरह जब cost (लागत) कम पड़ती है तो वह product भी थोड़ा सस्ता बेचते थे ताकि ज्यादा से ज्यादा बिक्री हो, पर ऐसा जरूरी नहीं है कि सारे customer बस सस्ता देखकर ही किसी product को खरीदें तब यहां पर एक नया concept आता है Product Concept, अब इसके बारे में जानते हैं –

2– Product Concept –

इस तरह अब Marketing का जो दूसरा concept introduce हुआ वह है “Product Concept”  यह concept पूरा product के ऊपर based था। इस concept में product की quality पर main focus किया जाने लगा। इसमें जिस भी product का production किया जा रहा था उसमें यह ध्यान दिया जाने लगा कि उस product की quality अच्छी होनी चाहिए क्योंकी कोई product best quality का होगा, innovative होगा, अच्छे features होंगे, उस product की performance अच्छी होगी तभी वो और ज्यादा बिकेगा। इस तरह जब कोई कंपनी quality products sell करेगी तो customer हमेशा high quality के products ही खरीदेंगे। इस तरह एक product की क्वालिटी तो अच्छी हो गई पर अब भी sell उतनी ज्यादा नहीं होती थी। बहोत ज्यादा लोग उस product को नहीं खरीदते थे, तब इसके बाद एक नया concept आया Selling Concept, आइए इसके बारे में जानते हैं –

3– Selling Concept –

इस “Selling Concept” में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि अगर कस्टमर को कोई सामान बेचना है तो उसे convince करना पड़ेगा। उस product का advertisement और promotion से customer को सारी चीजों के बारे में बताना होगा। उस product की तरफ उसे attract करना होगा। इस तरह इस Selling Concept में ज्यादा से ज्यादा promotion और sales पर focus किया गया। इसमें मुख्य उद्देश्य sale करके profit कमाना होता था। Customer की माँग (demand) क्या है? वह किस तरीके का product चाहता है? उसे बनाना और sale करना। इस selling concept में single sale पर focus किया जाता था, यह ध्यान नहीं दिया जाता था कि customer से relation बन सके एक संबंध बन सके ताकि वह उस प्रोडक्ट को दोबारा खरीद सके इस तरह नहीं सोचते थे, बस किसी तरह उनके products बिक जाएं यही मुख्य उद्देश होता था। इस तरह इसमें भी कई problems आना शुरू हो गईं। अब ज्यादा बेचने के चक्कर में product की quality खराब होने लगी। इसपर ध्यान नहीं दिया गया और customer को ऐसा महसूस होने लगा कि उसे अब ignore किया जा रहा है।

4– Marketing Concept –

इस Marketing Concept के द्वारा ग्राहक संतुष्टि (customer satisfaction) पर ज्यादा जोर दिया गया। Customer की need क्या है? उसकी want क्या है? वह किस तरह के product चाहते हैं यह पता करना और उसी के according product बनाया जाता है। इस तरह सारी activities यह ध्यान में रखकर की जाती थी कि वह product customer के हिसाब से बने और अपने प्रतियोगियों (competitors) से बेहतर product बने ताकि customer उस product से सन्तुष्ट हो, तभी वह उसे बार-बार खरीदेगा और दूसरों को भी उसे suggest करेगा। इस तरह इसमें product को बेचने (sale) के बेचने के लिए अलग-अलग Marketing Strategy अपनाई जाती हैं।

5– Societal Concept –

इसमें पूरा focus society पर होता है, इसमें जो भी marketing की जाती है वह society को ध्यान में रखकर की जाती है कि जो भी product बनाएं वह society के लिए अच्छा हो और उससे उनका कोई नुकसान न हो, क्योंकि कोई भी business या company लम्बे समय तक तभी अच्छे से चल सकता है या successful बन सकता है जब वह society के welfare उनके भले के लिए काम करेगा। इस तरह इसमें कस्टमर को संतुष्ट करते हुए उनसे healthy relation बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया गया। Customer के भले के लिए उनकी जरूरतों उनके interest को ध्यान में रखना “Societal Concept” के अंदर आता है।

6– Holistic Concept –

यह जो concept है यह development पर base है। आजकल जो concept चल रहा है वह यही है, और यहां पर एक लाइन है Everything Matters” In Marketing, इसका मतलब यह है कि Marketing में हर एक चीज़ की importance है। इस तरह अब सिर्फ़ customer के according ही product बनाने पर बस focus नहीं किया जाएगा जो production कर रहे हैं जो product बना रहे हैं, इनके बारे में ध्यान रखना और जो product को market में sell करते हैं वो customer से कैसे बात करते हैं? क्योंकि उनके ऊपर भी sale निर्भर करती है, अगर वे customer से अच्छे से बात नहीं करेंगे तो वह customer उनके product को नहीं खरीदेगा। यह सब इसमें शामिल होगा।

दोस्तों आज के इस article में इतना ही, उम्मीद करता हूँ आपको Stages Of Marketing Concept In Hindi के बारे में समझ में आ गया होगा। अगर आप इसकी Meaning And Definition Of Marketing या फिर Features Of Marketing Concept के बारे में भी जानना चाहते हैं तो आप इसके ऊपर click करके इसे भी समझ सकते हैं। अगर आपको कोई doubt है या कोई suggestion है तो आप मुझे नीचे comment करके भी बता सकते हैं।

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